Monday, May 12, 2008

Alfaaz Dil ke.....


नशा चड़ा जो दिल में
रुबाब प्यार की
मज़ा चकादिया हमें
फिजा यह आपकी

रुदाद-ऐ-दिल से खून-ऐ-अश्क
बहा थो भूले अपने जश्न
भूले खुदको आप में
मगर न भूले हम यह कश


उल्फ़ते-ऐ-अंजुमन
ये कैसे है इर्फानियाँ
ऐ सारे कैफो आज़मी
ये वादियाँ वीरानियां

फलक ऐ चान्दिनी ज़रा
तलक ऐ रौशनी सदा
ऐ कैसे उन्स दरबदर
क्या कायनात क्या फरह

No comments:

Custom Search